अगर आप सोचते/सोचती हैं कि पुलिस में दर्ज प्रत्येक बलात्कार का मामला वास्तव में सत्य है तो मुझे आपकी बुद्धि पर तरस आता है.
यहाँ अक्सर कुछ पोस्ट दिखती हैं जिनमें पूछा गया होता है कि " आपके हिसाब से बलात्कारी को क्या सजा मिलनी/दी जानी चाहिए ? " इस प्रश्न के एक से बढ़कर एक उत्तर दिए जाते हैं. कोई कहता है:"लिंग काट दिया जाना चाहिए", कोई "मृत्युदंड दिया जाना चाहिए" तो किसी का कहना होता है "जिंदा खाल खींच ली जानी चाहिए" आदि-आदि.
यक्षप्रश्न यह है कि आप आखिर किसे बलात्कार और बलात्कारी कहेंगे ?
क्या उसे 'जिसके विरुद्ध किसी महिला ने पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करा दी हो फिर चाहे वह सच्ची हो या झूठी ?'
" शारीरिक संबंध बनाने की आजादी " आधुनिक स्त्री विमर्श का एक अहम मुद्दा है, इसका आनंद दोनों लेते हैं इसीलिये तो इसे संभोग जैसे अलंकारिक शब्द से विभूषित किया गया है। लेकिन किसी उद्देश्य की पूर्ति ना हो पाने पर या विद्वेषवश पुरुष को झूठे बलात्कार के आरोप में फंसा दिया जाता है !
मान-प्रतिष्ठा क्या मात्र स्त्री की होती है ? ऐसे किसी भी झूठे मामले में फँसे पुरुष का परिवार जो सामाजिक,मानसिक व आर्थिक त्रास झेलता है वह अकथनीय है.
निर्भया ( ईश्वर उसकी आत्मा को शांति प्रदान करें ) कांड के बाद हमारे देश में ऐसे झूठे मुकदमों का सैलाब आया हुआ है. सनद रहे 'दिल्ली महिला आयोग' के अनुसार अप्रैल2013 से जुलाई2014 तक दर्ज ऐसे मामलों में से 53.2% मामले झूठे पाए गये थे.
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