बुंदेली बोली में कहासुनी, तकरार को "किरकिच" कहा जाता है. छायाचित्र में यह जो लाल-नारंगी-पीले फूलों वाली वनस्पति आप देख रहे हैं उसे ही हमारे यहाँ "किरकिचयाऊ" कहते हैं यानि "झगड़ा कराने वाली". कहा जाता है कि इसे जिस घर में डाल दिया जाये उस घर में विवाद हो जाता है.
यह कुछ अतिश्योक्तिपूर्ण कथन है.हालाँकि जिज्ञासावश इसका कारण जानने पर पाया कि इसमें आंशिक सत्यता हो सकती है. जो निष्कर्ष हमने निकाला वह यह है कि यह पौधा पूरा विषाक्त होता है और कुछ यूँ हुआ होगा कि कभी घर में किसी ने इसके फूलों की सुंदरता के कारण सजावट हेतु रखा होगा और किसी बच्चे ने इसे खाने वाली चीज समझ कर खा लिया होगा.बच्चे की तबीयत बिगड़ने का जिम्मेदार इसे लाने वाले को समझकर परिवार के सदस्यों में तू-तू मैं-मैं हो गई होगी ( सम्भवतः जेठानी-देवरानी में ) मतलब कि "किरकिच" हो गई होगी और इस पादप का यह दिलचस्प नामकरण हो गया.
वैसे इसका नाम हिंदी में "कलिहारी", अंग्रेजी में "फायर लिली" , वैज्ञानिक "ग्लोरियोसा सुपर्बा" है. यह एक आयुर्वेदिक औषधि है. खेत की मेड पर लगा हुआ पाया गया.
छायाचित्र: डॉ.अमित कुमार नेमा
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