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गुरुवार, 15 मई 2014

हॉस्टल जो है परिवार जैसा !

     आज का दिन ( 15 मई  )  , दो कारणों से महत्वपूर्ण है जिनमें से एक तो यह है कि परिवारों से संबंधित मुद्दों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए और परिवारों को प्रभावित करने वाले  सामाजिक, आर्थिक और जनसांख्यिकीय प्रक्रियाओं का ज्ञान बढ़ाने के अवसर के रूप में  वर्ष 1993 ई. से संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस दिन को  "अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस" के रूप में घोषित किया और इसी दिन जन्म हुआ 'रिचर्ड शरमन' का जिन्होंने यूथ हॉस्टल के माध्यम से  विश्व समुदाय को साहसिक गतिविधियों और पर्यटन के आनंद के साथ-साथ एक परिवार का रूप दिया ।  



     हॉस्टल  (  Hostel ) , एक अंग्रेजी शब्द है जिसका उद्भव लैटिन भाषा के हॉस्पिटेलिस  ( hospitalis ) शब्द से हुआ है , जिसका शाब्दिक अर्थ है "आतिथ्य ", हम हिंदी में होस्टल शब्द का अर्थ  "छात्रावास" से समझते हैं, वस्तुत: इस शब्द का अर्थ इससे कहीं अधिक व्यापक है, लेकिन अगर हम यह मान के चलें कि नई चीजों और खोजों के प्रति मानव की जिज्ञासा उसे सम्पूर्ण जीवनकाल तक एक छात्र बनाये रखती है तो  "छात्रावास" शब्द सटीक जान पड़ता है  ।

     सतत जिज्ञासु होने की विचारधारा रखने वाले 'रिचर्ड शरमन (  Richard Schirrmann )' का 1874 ई.  में आज ही  ( 15 मई ) के दिन जन्म हुआ था । रिचर्ड, जर्मनी के वेस्टफालिया राज्य के अल्टेना नाम के शहर में एक शिक्षक थे ।  रिचर्ड ने अनुभव किया कि उनके विद्यालय के छात्र जब शैक्षणिक देशाटन पर निकलते हैं तो रात में विश्राम-स्थल को लेकर बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है । इसी समस्या से उनके मन में एक युवा आवास का विचार आया  और 1909 में अपने मित्र संरक्षणवादी विल्हेम मंकर ( Wilhelm Münker ) के साथ मिलकर उन्होंने अपने ही विद्यालय में पहला यूथ हॉस्टल शुरू  किया । प्रारम्भ में यह यूथ हॉस्टल अस्थायी होते थे , असल में यह विद्यालय ही होते थे जो लम्बी छुट्टियां हो जाने पर यु. की तरह उपयोग किये जाने लगते थे ।

     तीन साल बाद ही 1912 ई. में पहला स्थायी यु. रिचर्ड के शहर के मध्यकालीन किले में प्रारम्भ किया गया  जो कि आजतक वहीं संचालित किया जा रहा है । शरमन ने 1919 में  'जर्मन यूथ हॉस्टल एसोशिएसन' की स्थापना की । शीघ्र ही यह विचार यूरोप के अन्य देशों में तेज़ी के साथ लोकप्रिय हुआ । यूरोप के बहुत से देशों की यूथ हॉस्टल एसोशिएसन ने मिलकर 20 अक्टूबर 1932 को नीदरलैंड के एम्स्टर्डम नगर में  "अंतर्राष्ट्रीय यूथ हॉस्टल संघ " की स्थापना की । इसका अध्यक्ष शरमन को ही बनाया गया लेकिन तत्कालीन नाजीवादी जर्मन सरकार के दबाव के कारण 1936 में उन्हें इस पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा । द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद शरमन पुन: अपने इस पसंदीदा काम से जुड़ गये । तब के "अंतर्राष्ट्रीय यूथ हॉस्टल संघ " को ही आज " हॉस्टलिंग इंटरनेशनल " नाम से जाना जाता है । यह विभिन्न राष्ट्रीय यूथ हॉस्टल एसोशिएसनों  का एक गैर-लाभकारी संघ है ।    



     भारत में यूथ हॉस्टल की स्थापना पहले -पहल 9 जून 1945 को शिमला के नज़दीक तारादेवी नामक स्थान पर हुई थी । इसका उद्घाटन पंजाब के तत्कालीन राज्यपाल सर बर्ट्रेंड गलेन्सी ने किया था । हमारे देश में 5 अक्टूबर 1970 को  "राष्ट्रीय यूथ हॉस्टल ट्रस्ट" की स्थापना की गई । भारतीय यूथ हॉस्टल एसोशिएसन का मुख्यालय चाणक्यपुरी, नई दिल्ली स्थित यूथ हॉस्टल परिसर में हैं , इसका उद्घाटन भूतपूर्व राष्ट्रपति श्री नीलम संजीव रेड्डी ने किया था । आज " हॉस्टलिंग इंटरनेशनल " का नेटवर्क विश्व के 90 देशों में है, जिनमें विभिन्न राष्ट्रीय यूथ हॉस्टल एसोशिएसनों द्वारा 4000 से अधिक यूथ हॉस्टल संचालित किये जाते हैं । इनमें भारत के 23 राज्यों में स्थापित करीब 100 यूथ हॉस्टल भी शामिल हैं ।

     यूथ हॉस्टल मात्र रात्रि विश्राम के लिए ही नहीं हैं , बल्कि यूथ हॉस्टल, साहसिक गतिविधियों, रोमांचकारी पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । जैसा कि हॉस्टलिंग इंटरनेशनल की  अध्यक्ष एडिथ अर्नोल्ट-ब्रिल का कहना है  " यूथ हॉस्टल मात्र विश्राम स्थल से कहीं अधिक हैं।   वे, नए स्थानों की खोज,  विभिन्न संस्कृतियों के बारे में जानने के लिए और आजीवन दोस्ती बनाने के लिए एकदम सही आधार हैं. " । यूथ हॉस्टल अपने सदस्यों के लिए देश-विदेश में बहुत सी गतिविधियाँ आयोजित करते हैं, कोई भी व्यक्ति अपने देश की यूथ हॉस्टल  एसोशिएसन का सदस्य बनकर इस अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क से जुड़ सकता है ।



     यूथ का हॉस्टल के लक्ष्यों में आदर्श पारिवारिक मूल्यों की झलक दिखती है । जिस प्रकार परिवार में यदि कोई किसी प्रकार से कमजोर हो तो उसका विशेष ध्यान रखा जाता है , वैसे ही यूथ हॉस्टल अपनी इस प्रतिबृद्धता को दोहराता यही कि "  यूथ हॉस्टल प्रतिबृद्ध है बिना किसी जाति, राष्ट्रीयता, रंग, धर्म, लिंग, वर्ग, या राजनीतिक राय का  भेद करते हुये ,सभी देशों के सभी युवा लोगों , विशेष रूप से सीमित साधन वाले युवा लोगों के बीच शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए, अधिक से अधिक ज्ञान, प्यार और देखभाल को बढ़ावा देने हेतु,  ग्रामीण इलाकों और कस्बों,  शहरों और दुनिया के सभी भागों के सांस्कृतिक मूल्यों की पहचान व सराहना को बढ़ावा देने के लिए, विश्व भर के लोगों के बीच आपसी समझदारी और सहयोग विकसित करने के लिए"। एक परिवार भी अपने सदस्यों के मध्य यही विचार साझा करता है ।




      विभिन्न देशों ने  'रिचर्ड शरमन' और उनके 'यूथ हॉस्टल' के विचार के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए डाक-टिकिट जारी किये हैं । भारत ने भी वर्ष 1995 में यूथ हॉस्टल एसोशिएसन ऑफ़ इंडिया की स्वर्ण जयंती पर डाक-टिकिट जारी किया था । एक परिवार न सिर्फ अपने सदस्यों की सुख-दुःख का ध्यान रखता है बल्कि वह आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक बढ़िया उदाहरण और विरासत के निर्माण पर भी जोर देता है । धारणीय विकास का यही सिद्धांत यूथ हॉस्टल का मूलमंत्र है ,  यह कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं कि आज यूथ हॉस्टल एक वैश्विक परिवार के निर्माण में अपना योगदान दे रहे हैं ।

     चलते चलते आपको बता दें कि आपका यह मित्र   भारतीय यूथ हॉस्टल एसोशिएसन के मार्फत हॉस्टलिंग इंटरनेशनल का आजीवन सदस्य है |   हमेशा की तरह मुझे आपके अमूल्य सुझावों की बहुत जरूरत है , उम्मीद है आप मुझे इनसे नवाजेंगे । तब तक के लिए आज्ञा दीजिये , अमित के प्रणाम स्वीकार करें..... 

शनिवार, 3 मई 2014

श्रमिक

एक कविता ,  'अन्तर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस ' पर समर्पित है,  हेमराज को श्रद्धांजलि स्वरूप - 

" इन उन्नत भवनों में गर तुमने पैसा,
तो मैंने भी अपना पसीना लगाया है,

काली अंधियारी खानों में दम घोंटे हैं,
ठोस पटरियों पर अपना खून बहाया है,
तुम्हारी खातिर मैंने जिस्म में अपने,
सनसनाती इस बिजली को दौड़ाया है |

पेट में दहकती क्षुधा आग की खातिर,
रात औ दिन को सदा एक सा पाया है,
गुम गाय सी पत्नी फिरती मारी मारी,
जिसने बच्चों को भूखे पेट सुलाया है |

वो जिन्हें हम हैं समझते आये मसीहा,
उसने मेरी ही लाश को ईंधन बनाया है,
महँगाई का रोना रोती इस दुनिया में,
खुद की जान को सबसे सस्ता पाया है |

खुशकिस्मत हो मालिक कहलाते हो,
शब्द श्रमिक यह मेरे हिस्से आया है | "


डॉ.अमित कुमार नेमा
01 मई 2014