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मंगलवार, 30 मई 2017

बलात्कार और बलात्कारी ?



गर आप सोचते/सोचती हैं कि पुलिस में दर्ज प्रत्येक बलात्कार का मामला वास्तव में सत्य है तो मुझे आपकी बुद्धि पर तरस आता है.

यहाँ अक्सर कुछ पोस्ट दिखती हैं जिनमें पूछा गया होता है कि " आपके हिसाब से बलात्कारी को क्या सजा मिलनी/दी जानी चाहिए ? " इस प्रश्न के एक से बढ़कर एक उत्तर दिए जाते हैं. कोई कहता है:"लिंग काट दिया जाना चाहिए", कोई "मृत्युदंड दिया जाना चाहिए" तो किसी का कहना होता है "जिंदा खाल खींच ली जानी चाहिए" आदि-आदि.

यक्षप्रश्न यह है कि आप आखिर किसे बलात्कार और बलात्कारी कहेंगे ?
क्या उसे 'जिसके विरुद्ध किसी महिला ने पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करा दी हो फिर चाहे वह सच्ची हो या झूठी ?'




" शारीरिक संबंध बनाने की आजादी " आधुनिक स्त्री विमर्श का एक अहम मुद्दा है, इसका आनंद दोनों लेते हैं इसीलिये तो इसे संभोग जैसे अलंकारिक शब्द से विभूषित किया गया है। लेकिन किसी उद्देश्य की पूर्ति ना हो पाने पर या विद्वेषवश पुरुष को झूठे बलात्कार के आरोप में फंसा दिया जाता है !

मान-प्रतिष्ठा क्या मात्र स्त्री की होती है ? ऐसे किसी भी झूठे मामले में फँसे पुरुष का परिवार जो सामाजिक,मानसिक व आर्थिक त्रास झेलता है वह अकथनीय है.

निर्भया ( ईश्वर उसकी आत्मा को शांति प्रदान करें ) कांड के बाद हमारे देश में ऐसे झूठे मुकदमों का सैलाब आया हुआ है. सनद रहे 'दिल्ली महिला आयोग' के अनुसार अप्रैल2013 से जुलाई2014 तक दर्ज ऐसे मामलों में से 53.2% मामले झूठे पाए गये थे.


बुधवार, 24 मई 2017

किरकिचयाऊ


बुंदेली बोली में कहासुनी, तकरार को "किरकिच" कहा जाता है. छायाचित्र में यह जो लाल-नारंगी-पीले फूलों वाली वनस्पति आप देख रहे हैं उसे ही हमारे यहाँ "किरकिचयाऊ" कहते हैं यानि "झगड़ा कराने वाली". कहा जाता है कि इसे जिस घर में डाल दिया जाये उस घर में विवाद हो जाता है.




यह कुछ अतिश्योक्तिपूर्ण कथन है.हालाँकि जिज्ञासावश इसका कारण जानने पर पाया कि इसमें आंशिक सत्यता हो सकती है. जो निष्कर्ष हमने निकाला वह यह है कि यह पौधा पूरा विषाक्त होता है और कुछ यूँ हुआ होगा कि कभी घर में किसी ने इसके फूलों की सुंदरता के कारण सजावट हेतु रखा होगा और किसी बच्चे ने इसे खाने वाली चीज समझ कर खा लिया होगा.बच्चे की तबीयत बिगड़ने का जिम्मेदार इसे लाने वाले को समझकर परिवार के सदस्यों में तू-तू मैं-मैं हो गई होगी ( सम्भवतः जेठानी-देवरानी में ) मतलब कि "किरकिच" हो गई होगी और इस पादप का यह दिलचस्प नामकरण हो गया.


वैसे इसका नाम हिंदी में "कलिहारी", अंग्रेजी में "फायर लिली" , वैज्ञानिक "ग्लोरियोसा सुपर्बा" है. यह एक आयुर्वेदिक औषधि है. खेत की मेड पर लगा हुआ पाया गया.

छायाचित्र: डॉ.अमित कुमार नेमा 








बुधवार, 10 मई 2017

परियों का जन्म




स शाम हवा उदास थी, पत्ता-पत्ता उदास था और वो दोनों भी उदास थे लेकिन आनंद ने जब परी के मुरझाये चेहरे को देखा तो उससे रहा नहीं गया उसे लगा कि अंदर कहीं कोई पैना सा नाखून लगातार खरोंचे जा रहा है इस चुभन को मिटाने उसने कहा :-

" सुनो "
परी ने अपनी भावशून्य नजरें उस पर स्थिर कर दीं
" क्या तुम्हें पता है परियों का जन्म कैसे हुआ ? "


परी की आँखों में अनभिज्ञता और प्रश्न का भाव उभर आया, आनंद ने इशारा समझ लिया

" मैं बताता हूँ "
" जब सूरज की पहली किरण बर्फ से ढके पहाड़ों से टकराई तो वो सात रंगो में बिखर गई हरेक रंग से एक परी बनी, जब नदी पहली बार बही उसकी धारा की हरेक कलकल से एक परी बनी, जब कली पहली बार खिली उसकी खुशबू के हरेक कतरे से एक परी बनी और जब बच्चा पहली बार हंसा तो उसकी किलकारी मोतियों में बदल गई हरेक मोती से एक परी बनी "

परी के होंठों पर एक मुस्कान कौंध के चली गई, आनंद को चुभन कुछ कम सी होती लगी.....

( लिखी जा रही एक कहानी से - © डॉ. अमित कुमार नेमा,  चित्र: साभार - गूगल छवियाँ )