* तजुर्बा ए मर्दानगी *
कुचल कर तितलियाँ झाड़ों से लटकाई जाती हैं |
साड़ियाँ सलवारें बिंदियाँ और चूड़ियाँ मसल कर
मासूम शक्लें परियों की तेजाब से भिगोई जाती हैं |
घर, मोहल्ला, शहर या हो मैदान किसी जंग का
तजुर्बा ए मर्दानगी में औरतें काम लाई जाती हैं |
मर गईं जो तो चीख पुकार जुलूस मोमबत्तियाँ
गर जिंदा जो रहीं मौत तलक तड़पाई जाती हैं |
अक्सर इस देवी के देश के रहनुमा कहते हैं
क्या हुआ कुछ गलतियाँ लडकों में पाई जाती हैं | "
- डॉ.अमित कुमार नेमा
* यह रचना दिनांक 03/06/2014 को फेसबुक पर प्रकाशित की थी | वहाँ से इसे एक पेज ने बिना अनुमति के चुरा लिया , विडम्बना यह है कि उन्होंने इस रचना के साथ मेरा नाम प्रकाशित करना भी उचित नहीं समझा |