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सोमवार, 2 मार्च 2015

गुलकंदी गोले

मेरे प्रिय आत्मन,

     कतिपय कारणों के चलते साल के दो माह बीत चुकने पर भी आपसे कुछ बात नहीं कर पाया । जब हम डॉक्टरी पढ़ा करते थे तो टिफिन का खाना पसंद नहीं आता था , माँ के हाथ के खाने की याद आती थी, इस चक्कर में कई बार भूखे ही रह जाते थे तो छुट्टियों में जब भी आते माँ से पाककला सीखते, दोस्तों को बनाकर खिलाया तो उनको भी पसंद आया, बल्कि वो बाकायदा कुछ ना कुछ बनाने की फरमाइश करने लगे, इस तरह यह पकाने-खिलाने और खाने का शौक परवान चढ़ता गया । वैसे खाने से ज्यादा मजा खिलाने में आता है इसमें कोई शक नहीं  है । 

     अब जबकि ऋतुराज वसंत पधार चुके हैं और अपने अभिन्न मित्र  मदनोत्सव को आमंत्रित करने ही वाले हैं तो कुछ मीठा हो जाये  इसलिए पेश है दोस्तो सिर्फ आपके लिए ' गुलकंदी गोले ' ( तकनीकी रूप से लड्डू ही हैं ) ! अगर इसके पहले आपने इनको देखा,सुना और चखा न हो तो अपने इस दोस्त को ही इनका आविष्कारक मान लीजिये, खैर ....क्रेडिट हमें मिले या किसी और को लेकिन बनाइयेगा जरुर, खिलाईयेगा जरुर और खाइयेगा जरुर......


गुलकंदी गोले

इसको बनाने के लिए आपको चाहिए :-

1. कंडेसड मिल्क ( मिठाईमेट या मिल्कमेड ) - 400 ग्रा.
2. नारियल का बूरा - 350 ग्रा. 
3. गुलकंद - 200 ग्रा. 
4. हरी इलायची ( पिसी हुई ) - एक छोटा चम्मच 

इसको ऐंसे बनाये :- 

1. एक गहरे बर्तन ( जैसे कड़ाही ) में पूरा कंडेसड मिल्क और 300 ग्रा. नारियल का बूरा अच्छे से मिक्स करें ( 50 ग्रा. नारियल-बूरा गोले रोल करने के लिए अलग बचा कर रखें ) , जब मिक्स हो जाए तो धीमी आंच पर लगातार चलाते हुए दो मिनिट के लिए इसे गर्म करें | 

2. जब मिश्रण ठंडा हो जाए तो इसमें इलायची मिक्स करें और हाथों में थोड़ा सा घी लगाकर इसमें से एक निम्बू के जितनी लोई तोड़ें उसे चपटा करके थोड़ा फैला लें और बीचोंबीच एक छोटा चम्मच गुलकंद रखें | 

3. किनारों को आपस में मिलाते हुए इसे गोल-गोल लड्डू की शक्ल दें और बचे हुए नारियल के बूरे में इसे रोल करें | सारे लड्डू इसी तरह बना लें | 

हमारे गुलकंदी गोले तैयार हैं !

विशेष :- इन गुलकंदी गोलों का मज़ा अकेले खाने में नहीं है, घर-परिवार , यार-दोस्तों के साथ ही खायें !!

अब अपने अमित को आज्ञा दीजिये, मेरे प्रणाम स्वीकार करें ।