" यह विचित्र है
इसका नाम प्रेम है
यह सहसा ही उपज
जाता है प्रयासहीन
कोई नहीं जानता हो जाए
कब कहाँ क्यों कैसे किस से
यह विचित्र है
इसका नाम प्रेम है
यह चमत्कारी
बड़ा चतुर सुजान है
एक मुस्कान के बदले
वसूलता अनेक विलाप है
यह विचित्र है
इसका नाम प्रेम है....."
© डॉ. अमित कुमार नेमा