( कविता )
‘‘लिखो क्योंकि तुम अपने आपको किसी विचार या मत से मुक्त करने की आवश्यकता महसूस करते हो।’’
( टी. एस. ईलियट )
तो थोड़ा-बहुत हम भी लिख लेते हैं, लिखके यहाँ या अपने ब्लॉग पर छाप भी देते हैं, फिर भी पत्र-पत्रिकाओं में छपने की बात ही कुछ और होती है। अब जैसे इस कविता को ही देख लीजिये जो मई या जून 2008 में भोपाल से प्रकाशित साप्ताहिक '
कृषक जगत' की '
चित्र देखो कविता लिखो' प्रतियोगिता में पुरुस्कृत हुई थी। अब चित्र तो हमारे पास है नहीं आप कविता पढ़ के ही चित्र का अनुमान लगा लीजिये !
खोजबीन में कुछ और भी हाथ लगा है, लेकिन वो फिर कभी.........
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें