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मंगलवार, 19 अगस्त 2014

तुम्हें मुझसे प्यार है

:: कविता ::



तुम्हें मुझसे प्यार है

" बिला वजह तकरार हुई और हुआ इश्क का किस्सा तमाम, 
चौखट से टिकी बाट जोहती हो शायद तुम्हें मुझसे प्यार है । 


बातों को वादा मान बैठे और हुआ रिश्तों का किस्सा तमाम,
आँखों के धागे में मोती पिरोती हो शायद तुम्हें मुझसे प्यार है । 


उठ आये तेरे पास से और हुआ मौसम का किस्सा तमाम,
यादों की क्यारी रोज भिगोती हो शायद तुम्हें मुझसे प्यार है । 


पुकारा नींद को फिर से और हुआ ख्वाबों का किस्सा तमाम,
जागी रातों के सितारे सँजोती हो शायद तुम्हें मुझसे प्यार है । 


गलियाँ रूठी हमसे और हुआ मुलाकातों का किस्सा तमाम,
सुर्ख शीशों से पत्थर फोड़ती हो शायद तुम्हें मुझसे प्यार है ।  "


*पहले-पहल फेसबुक पर दिनांक 06 अप्रैल 2014 को प्रकाशित  
चित्र : साभार गूगल छवियाँ 

4 टिप्‍पणियां:

  1. उठ आये तेरे पास से और हुआ मौसम का किस्सा तमाम,
    यादों की क्यारी रोज भिगोती हो शायद तुम्हें मुझसे प्यार है । ......bahut sundar

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    उत्तर
    1. आदरणीय उपासना जी, बहुत बहुत धन्यवाद ! आपको अच्छी लगी यही मेरी रचना की प्राप्ति है !!

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