:: कविता ::
तुम्हें मुझसे प्यार है
" बिला वजह तकरार हुई और हुआ इश्क का किस्सा तमाम,
चौखट से टिकी बाट जोहती हो शायद तुम्हें मुझसे प्यार है ।
बातों को वादा मान बैठे और हुआ रिश्तों का किस्सा तमाम,
आँखों के धागे में मोती पिरोती हो शायद तुम्हें मुझसे प्यार है ।
उठ आये तेरे पास से और हुआ मौसम का किस्सा तमाम,
यादों की क्यारी रोज भिगोती हो शायद तुम्हें मुझसे प्यार है ।
पुकारा नींद को फिर से और हुआ ख्वाबों का किस्सा तमाम,
जागी रातों के सितारे सँजोती हो शायद तुम्हें मुझसे प्यार है ।
गलियाँ रूठी हमसे और हुआ मुलाकातों का किस्सा तमाम,
सुर्ख शीशों से पत्थर फोड़ती हो शायद तुम्हें मुझसे प्यार है । "
*पहले-पहल फेसबुक पर दिनांक 06 अप्रैल 2014 को प्रकाशित
चित्र : साभार गूगल छवियाँ
उठ आये तेरे पास से और हुआ मौसम का किस्सा तमाम,
जवाब देंहटाएंयादों की क्यारी रोज भिगोती हो शायद तुम्हें मुझसे प्यार है । ......bahut sundar
आदरणीय उपासना जी, बहुत बहुत धन्यवाद ! आपको अच्छी लगी यही मेरी रचना की प्राप्ति है !!
हटाएंBahut hi aachi kavita hai.
जवाब देंहटाएंनीनाजी, बेहद शुक्रिया !
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