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प्रिय आत्मन : सादर जयहिंद
वसंत आगमन की सुरभित शुभकामनायें मेरी इस कविता के माध्यम से स्वीकार कर अनुग्रहीत करें ::
// आकुल वसंत //
“ पतझड़ के पतन पर,
अवसाद के अवसान पर,
पीत-पुष्पित सरसों पर,
नवांकुरित पत्र-वृन्द पर,
भोर की ओस-मुक्ता पर,
आकुल वसंत, व्याकुल वसंत |
प्रथम दृष्टिपात पर,
नयन निमन्त्रण घात पर,
केश-पाश के सुमन पर,
बाँकी कजरारी चितवन पर,
सरस रक्तिम अधरों पर,
आकुल वसंत, व्याकुल वसंत |
प्रशस्त ललाट के बिंदु पर,
अप्रतिम सौंदर्य-सिन्धु पर,
भैरवी में खनकती कलाई पर,
कपोलों पर झूलती लट पर,
सुध खो सरकते पट पर,
आकुल वसंत, व्याकुल वसंत |
कोकिला की कूक पर,
शीतल सरिता मूक पर,
सुखद स्वर्णिम रश्मि पर,
सतत सुधा सिंचन पर,
अल्हड़ से प्रेम-आलिंगन पर,
आकुल वसंत, व्याकुल वसंत | ”
धन्यवाद
डॉ.अमित कुमार नेमा
04/02/2014
प्रिय आत्मन : सादर जयहिंद
वसंत आगमन की सुरभित शुभकामनायें मेरी इस कविता के माध्यम से स्वीकार कर अनुग्रहीत करें ::
// आकुल वसंत //
“ पतझड़ के पतन पर,
अवसाद के अवसान पर,
पीत-पुष्पित सरसों पर,
नवांकुरित पत्र-वृन्द पर,
भोर की ओस-मुक्ता पर,
आकुल वसंत, व्याकुल वसंत |
प्रथम दृष्टिपात पर,
नयन निमन्त्रण घात पर,
केश-पाश के सुमन पर,
बाँकी कजरारी चितवन पर,
सरस रक्तिम अधरों पर,
आकुल वसंत, व्याकुल वसंत |
प्रशस्त ललाट के बिंदु पर,
अप्रतिम सौंदर्य-सिन्धु पर,
भैरवी में खनकती कलाई पर,
कपोलों पर झूलती लट पर,
सुध खो सरकते पट पर,
आकुल वसंत, व्याकुल वसंत |
कोकिला की कूक पर,
शीतल सरिता मूक पर,
सुखद स्वर्णिम रश्मि पर,
सतत सुधा सिंचन पर,
अल्हड़ से प्रेम-आलिंगन पर,
आकुल वसंत, व्याकुल वसंत | ”
धन्यवाद
डॉ.अमित कुमार नेमा
04/02/2014
सादर धन्यवाद !! बंधुवर , अवश्य ही आऊंगा हर्ष जी , मेरा अहोभाग्य है |
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर सृजन.
जवाब देंहटाएंनिहार रंजन जी , बहुत बहुत धन्यवाद
हटाएंवसंत का रंग हर किसी पर चढ़ा है
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना !
शुक्रिया, शिवनाथ जी , आपने इसे सराहा , यही इस कविता की सार्थकता है |
हटाएंसुन्दर प्रस्तुति। सादर।।
जवाब देंहटाएंनई कड़ियाँ : भारत कोकिला सरोजिनी नायडू
क्या हिन्दी ब्लॉगजगत में पाठकों की कमी है ?
शुक्रिया हर्ष जी, आपके द्वारा इंगित ब्लॉग पर अवश्य आऊंगा |
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