" भंगुर है वह मिलन
जिसे तुम स्थायी मान बैठी हो
इसलिये नहीं कि मेरे प्रेम में
कोई खोट है पर प्रयास है
तुमसे हर बीते दिन से
अधिक प्रेम करने का
इसके लिए जरूरी है कि
यह मिलन अस्थायी हो
मैं तुम्हें नित-नित खोना चाहता हूँ
मैं तुम्हें नित-नित पाना चाहता हूँ "
© डॉ. अमित कुमार नेमा
प्रेमपगे भाव
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, आज बातें कम, लिंक्स ज्यादा - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंसुंदर पोस्ट।
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